
डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी : अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी कवि
परिचय
डॉ. चतुर्वेदी का परिचय
डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी
भारत के मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में जन्मे डॉ. चतुर्वेदी प्रारंभिक जीवन से ही साहित्य और समाज के प्रति विशेष रुचि रखते थे। बाल्यकाल में ही उनकी अभिव्यक्ति शैली और रचनात्मक सोच ने उन्हें अलग पहचान दी।
शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कीं। विज्ञान स्नातक (B.Sc.) की डिग्री के बाद उन्होंने हिंदी, भूगोल, इतिहास, शिक्षा शास्त्र और मनोविज्ञान जैसे विविध विषयों में एम.ए. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इसके पश्चात उन्होंने कानून में एल.एल.एम. और पीएच.डी. (विधि) की उपाधि प्राप्त की।
डॉ. चतुर्वेदी का शोधकार्य “शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का समालोचनात्मक अध्ययन” पर आधारित था, जिसके लिए उन्हें विद्या वाचस्पति उपाधि से सम्मानित किया गया।
साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को हरिशंकर परसाई सम्मान (युवा उत्कर्ष साहित्य मंच, दिल्ली) से नवाजा गया। सामाजिक और शैक्षणिक योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (नेशनल कॉन्फ्रेंस, मेकलसुता कॉलेज, डिंडोरी) से भी सम्मानित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी डॉ. चतुर्वेदी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। विश्व हिन्दी सम्मेलन, मॉरिशस में प्रस्तुत उनका शोधपत्र हिंदी भाषा और साहित्य के वैश्विक स्वरूप को एक नई दृष्टि देता है।
साहित्य, शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहते हुए डॉ. चतुर्वेदी आज युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और समर्पण उन्हें एक विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करता है।
- साहित्यिक व्यक्तित्व
- बहुविषयक उच्च शिक्षा में दक्षता
- प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित
- समाजसेवा
- शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिन्दी साहित्य का प्रतिनिधित्व

प्रकाशित कृति
डॉ. चतुर्वेदी ने अब तक पाँच पुस्तकें रची हैं, जिनमें समाज, संस्कृति और मानव मनोविज्ञान की गहरी झलक मिलती है। उनकी लेखनी में संवेदनशीलता, गहन अध्ययन और अनुभवजन्य दृष्टिकोण का सुंदर समन्वय दिखाई देता है।
भाषा और शैली
भाषा और शैली: उनकी भाषा सरल और सहज है, जिससे आम पाठक भी आसानी से जुड़ सकते हैं। उनकी कविताओं में मीटर और छंद का विशेष ध्यान रखा गया है।